
पिछले हफ्ते हमारी हिन्दी कक्षा में कुछ बच्चों के भारत जाने तथा एक छात्रा के देर से हिन्दी क्लास तक पहुँचने के कारण, कक्षा की शुरूआत कुछ सूनी सी लगी। माँ सरस्वती की वंदना के बाद गृहकार्य दिखाने की जिज्ञासा सभी में थी। मैं आश्चर्य चकित थी एक लड़की के काम को देख, जिसने एक पूरा पन्ना भर के हिन्दी लिखी थी। इस छात्रा को हिन्दी सीखते अभी केवल तीन ही महिने हुए हैं साथ ही बताना चाहूँगी कि इस छात्रा की माँ तो भारतीय पर पिता श्वेत अमेरिकन हैं। मैंने मन ही मन नमन किया उस माँ को और उसकी बेटी के इस अनमोल प्रयास को। ईश्वर इनकी हिन्दी के प्रति जोड़ी गयी सभी अभिलाषाएं पूरी करे।
पिछले हफ्ते “ऐ” से आरम्भ होने वाले शब्दों को एक बार फिर दोहराया गया। लगभग 30 शब्दों के अर्थ पूछे और सुनें गए तथा बच्चों ने मौखिक रूप से उन शब्दों के वाक्य बनाए। बच्चों में एक होड़ थी एक दूसरे से अच्छा वाक्य बनाने की। इन्हीं शब्दों पर आधारित मेरे द्वारा बनाया गया पाठ “रमा और मामा जी” पढ़ा गया।

और हम कैसे भूलते अपनी लम्बी सी रेलगाड़ी को। रेलगाड़ी चली और खूब चली। हमारे उन सभी पाठकों का ह्दय से धन्यवाद जिन्होंने पिछले हफ्ते हमारी इस रेलगाड़ी पर यात्रा की और टिप्पणियाँ छोड़ीं। आपकी टिप्पणियाँ हमारा उत्साह बढ़ाने के लिए इंजन में ईंधन की तरह हैं।
नाटक “नादान कौए” का अभ्यास किया गया। अगले सप्ताह फादर्स डे की छुट्टी रहेगी और उसके पश्चात हमारी इस वर्ष गर्मी की छुट्टियों से पहले की अन्तिम कक्षा लगेगी। इस अन्तिम कक्षा में सभी बच्चे अपने माता पिता के समक्ष कुछ हिन्दी गानों और नाटक का प्रदर्शन करेंगे। इसलिए कक्षा के अन्त में सब बच्चों के साथ मिल जुल कर यह निर्णय लिया गया कि क्या और किस क्रम में प्रस्तुत किया जाए।
इसके बाद एक बार फिर आ गई विदा की घड़ी।
धन्यवाद बाय-बाय नमस्ते
फिर मिलेंगे अगले हफ्ते
इसे गाते-गाते हम सबने एक दूसरे से विदा ली, पर इस बार अगले से अगले हफ्ते तक के लिए ..........