आज हिन्दी कक्षा का दिन हमारी सरस्वती प्रार्थना से आरम्भ हुआ-
जय सरस्वती देवी नमो वरदे
जय विघ्न विमोचन बहु वरदे
कक्षा के आरम्भ में बोलचाल के क्रम में हमने “कल क्या किया तथा आज क्या किया” विषय पर बातचीत की। बच्चों ने बढ़-चढ़ कर अपनी बातें हिन्दी में सामने रखने का प्रयत्न किया, विषय थे --
-समुद्र किनारे गये
-कैम्पिंग गये
-हाइकिंग गये
-पौधों की नर्सरी गये

कृष्णा तुलसी
एक बच्चे ने हमें बताया कि उसका परिवार यहाँ फारमर्स मार्केट से कृष्णा तुलसी (काली तुलसी) खरीद कर लाया। हमारे लिए तो यह जैसे जंगल में मंगल जैसी खबर थी इसलिए मैंने भी अपने कई मित्र परिवारों में यह खबर बांटी। अब लगता है हम सभी अगले हफ्ते कृष्णा तुलसी खरीदने फारमर्स मार्केट जाएंगे।
बात ही बात में बीज की बात हुयी और हमने अपनी लिखी किताब “आओ बोएं बीज” पढ़ी। बच्चो ने हर लाइन को दोहराया। अनेक नये शब्द सीखे गये। खुरपी, हज़ारा विशेष रहे।
लो! फिर आ गई नाटक की बारी। लोमड़ी और गिलहरी आज के दिन अनुपस्थित थे इसलिए उनकी कमी बहुत खली । फिर भी बच्चों ने खूब मन लगा कर अभ्यास किया और बहुत मज़ा लिया। उनका मन तो भरता ही नहीं था तब इस शर्त पर आगे बढ़े कि यदि कक्षा के अन्त में समय बचा तो फिर से एक बार और अभ्यास किया जाएगा।
पिछले हफ्ते का गीत “वसंत है आता “ बार-बार गाया गया और एक नया गीत सीखा गया-
“रेलगाड़ी-रेलगाड़ी, लम्बी सी रेलगाड़ी।“
गृह कार्य दिखाने का लिए एक बार फिर होड़ थी। अब बच्चे अपने आप लिखने का जोश दिखा रहे हैं। सभी की लिखावटें बहुत ही सुन्दर और प्रयास प्रसंशनीय है।

"रतन का रोमांचक दिन" कहानी का एक चित्र-
कक्षा के अन्त में पठन-पाठन के अन्तरगत हमनें ए की मात्रा वाली रतन की कहानी पढ़ी। इस कहानी में लगभग उन सभी शब्दों का प्रयोग किया गया है जिन्हें ए की मात्रा सिखाते समय बताया गया था। बच्चे बखूबी पढ़ रहे हैं।
और, अरे ये क्या? कक्षा का सारा समय तो समाप्त हो गया। जल्दी-जल्दी लिखने के लिए वाला काम बांटा गया, और-
“धन्यवाद बॉय-बॉय नमस्ते, फिर मिलेंगे अगले हफ्ते” की धुन के साथ क्लास समाप्त हुआ।
नमस्कार।