पिछले रविवार हमारे इस सत्र की अन्तिम कक्षा थी। सभी बच्चों में उत्साह था। आज नाटक “नादान कौए” की प्रस्तुति भी थी।
सबसे पहले बच्चों ने पिछले दो हफ्ते के गृहकार्य को बड़े गर्व के साथ दिखाया। गर्मी की छुट्टियों में क्या काम करते हुए अपने हिन्दी ज्ञान को जीवन्त रखना है इस पर भी चर्चा हुयी। इस हफ्ते ऐ की मात्रा को आगे बढ़ाते हुए “कैलाश की बैलगाड़ी” पाठ का वितरण हुआ।
इससे पहले कि अभिभावक आने लगें एक बार अपनी प्रस्तुति का पूर्वाभ्यास किया गया। सभी बच्चों की तैयारी देख मेरा मन पूर्णतया संतुष्ट और गद्-गद् था। जल्दी ही हमलोगों ने मिल कर सब आने वालों के लिए कुर्सियाँ लगायीं और कुछ जलपान का आयोजन भी किया।
सभी अभिभावकों के आ जाने के बाद हमारी प्रस्तुति आरम्भ हुयी। सबसे पहले सरस्वति वंदना से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ, फिर गर्मियों के मौसम को देखते हुए एक गीत- “आम फलों का राजा है” गाया गया। इसके बाद बड़े दृढ़ विश्वास और शालीनता के साथ बच्चों ने नाटक “नादान कौए” की प्रस्तुति दी। नाटक के बाद दो और गीत- “बिल्ली रानी” तथा “हम बहादुर बच्चे हैं” की प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। हर प्रस्तुति के बाद तालियों की गड़गड़ाहट बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाती गयी और मेरा मन संतुष्टि, तथा बच्चों और उनके अभिभावकों के हिन्दी के प्रति इस प्रयास के लिए विनम्रता से झुकता गया। सभी बच्चों ने अपने सुन्दर प्रयास एवं प्रस्तुति के लिए प्रमाण पत्र तथा कुछ छोटे पुरूस्कार पाए।

कार्यक्रम के बाद सभी अभिभावकों के साथ एक गोष्ठी हुयी जिसमें इस साल के कार्य का पुनरावलोकन किया गया, साथ ही अगले सत्र के लिए विचारों का आदान प्रदान हुआ। मैं अपने सभी अभिभावकों एवं इस ब्लाग पर आने वाले सभी पाठकों को धन्यवाद कहना चाहूंगी जो हमें इस कार्य के लिए उत्साह एवं ऊर्जा देते हैं। इसके साथ ही विशेषरूप से एक बच्चे की दादी जी को शुक्रिया कहना चाहूंगी जो दिल्ली से एक दिन पहले ही आयी थीं और अपनी लम्बी यात्रा की थकान, जेट लेग की चिन्ता से परे बड़े उत्साह के साथ हमारे कार्यक्रम में सम्मिलित हुयीं, हमारी पीठ ठोंकी और बच्चों को पढ़ाने में आने वाली किसी भी सामिग्री को भारत से भेजने के लिए पूर्ण सहायता का आश्वासन भी दिया। बड़ों का आशीर्वाद सिर पर हो तो यात्रा स्वतः ही सुखद एवं सरल हो जाती है- इस विचार के साथ आज यहीं विराम देती हूँ, अपनी अगली पोस्ट के आने तक.... नमस्कार।
और आपका हिंदी सिखाने का निष्ठा भाव से यत्न हमारे मन को आपके प्रति कृतज्ञता से भर गया.
ReplyDeleteहिन्दी के पुनीत कार्य को
ReplyDeleteआप सरीखी निष्ठा की प्रतिमूर्ति
ही कर सकती हैं।
आपके जज्बे को नमन।
आपकी कक्षा के छात्र-छात्राएं जीवन के एक मोड़ पर आपको दिल से याद करेंगी उस समय ये पाठशाला भी गौरवान्वित होगी और मैं तो इसे आज ही गौरवमयी देखता हूँ
ReplyDeleteवाह वाह......... बहुत ही बेहतरीन प्रयास...
ReplyDeleteACCHA PRAYAS HAMESHA KI TARAH !!
ReplyDeleteRani,
ReplyDeleteI know how busy your life would be, so all that you are doing, and so well at that, is really commendable :). Its wonderful that through these classes you are keeping the connection to their culture alive for these kids (and their parents). It must be highly satisfying for you (ofcourse) to see your effort taking fruit.
(I actually read all of this, though it took me a while :), I should get better with time.)
Ap to bade man se hindi sikha rahi hain..is nek karya hetu badhai.
ReplyDeleteफ़िलहाल "शब्द-शिखर" पर आप भी बारिश के मौसम में भुट्टे का आनंद लें !!
aap hindi ke prati itni nishtawaan hai .. yahi sabse badi khushi ki baat hai ji ..
ReplyDeletemeri badhai sweekar karen..
Aabhar
Vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/07/window-of-my-heart.html
apne har shabad ko bakhoobi nibhaya hai..badhai ho aapko...
ReplyDeleteआप के ब्लॉग पर आकर ऐसा लगता है ..हम खुद आपकी कक्षा में बैठे हों ...कक्षा का ,कार्यक्रम का एकदम सजीव एवं सहज वर्णन अच्छा लगता है ...शुभकामनाओं के साथ.
ReplyDeleteपूनम
bahut hi sundar prayas.....
ReplyDeleteरानी जी ,
ReplyDeleteयह जान कर अच्छा लगा की आपको भी विजय भैया के साथ कम करने का अवसर मिला है .सचमुच उनके साथ मुझे तो बहुत कुछ सीखने को मिला .आपकी कक्षा के बारे में पढ़कर अच्छा लगता है .
शुभकामनाएं.
हेमंत कुमार
आप सभी बड़े लोगों का आशीर्वाद एवं हमउम्र लोगों की शुभकामवाओं के लिए ह्दय से धन्यवाद। नया ब्लाग लिखना भले ही न हो पा रहा हो पर एक बार आ कर टिप्पणियों पर नज़र अवश्य डाल लेती हूँ और कोई भी नया कमेंट देख कर मन उत्साह से भर जाता है। गर्मी की छुट्टियों में दिन कितना ही बड़ा हो पर समय निकाल पाना कठिन हो रहा हैं। कोशिश करूंगी जल्दी ही फिर आने की....
ReplyDeleteआप बहुत ही अच्छा कार्य कर रही हैं...मातृभाषा की सेवा का यह पुण्यकार्य मातृभूमि की सेवा है...अगर मुझसे इस विषय में कुछ सहयोग अपेक्षित हो तो अवश्य बताएं...
ReplyDeleteमैं अपने सभी अभिभावकों एवं इस ब्लाग पर आने वाले सभी पाठकों को धन्यवाद कहना चाहूंगी जो हमें इस कार्य के लिए उत्साह एवं ऊर्जा देते हैं।
ReplyDeleteDhanywaad to hame aapko dena chahiye.
bahuut hi khoob..
ReplyDeleteब्लॉग तो अच्छा है ही, लेकिन सबसे अच्छा सर्टिफिकेट है। इतना सुंदर!
ReplyDeleteहमें भी चाहिए।
sach aapka ye prayaas mere liya bahut sehyogi hai...
ReplyDeleteआप बहुत ही अच्छा कार्य कर रही हैं....जानकारी के लिये धन्यवाद...
ReplyDeletebahut khoob..apke jajbe ko mein salaaam karti hu
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