Thursday, June 4, 2009
३१ मई, २००९ की कक्षा
पिछले हफ्ते हमारी हिन्दी की कक्षा अपने नियत दिन, नियत समय पर आरम्भ हुयी। पति के शहर में ना होते हुए भी मेरे बच्चों के साथ और सहयोग ने मुझे सारी चिन्ताओं से दूर हिन्दी कक्षा के लिए तैयार कर दिया था।
हर बार की तरह इस बार भी कक्षा सरस्वती वंदना से आरम्भ हुयी। इसके पहले कुछ और करते बच्चों की लम्बी लाइन हमें गृह कार्य दिखाने के लिए उत्सुक थी। हंसी मज़ाक के साथ हम उनकी त्रुटियों को समझाते और सुधारते रहे।
इसके पश्चात आओ गाएं के क्रम में हमने “वसंत है आता” तथा “रेलगाड़ी-रेलगाड़ी, लम्बी सी रेलगाड़ी” गानों का भरपूर आनन्द उठाया।
फिर आई नाटक की बारी। इस बार सभी बच्चों ने न केवल “नादान कौवे” नाटक का अभ्यास किया अपितु हास्य नाटिका की गंम्भीरता को भी समझा।
इस बार ए की मात्रा का अंतिम दिन था इसलिए एक बार पुनः अब तक सीखी गयी सभी मात्राओं का पुनर्भ्यास किया गया। इस कड़ी में एक बात पर विषेश बल दिया गया कि “ग़लती करने से ना डरो, दूसरों की नकल बिना समझे मत करो।” बच्चों ने पूर्ण आत्मविश्वास के साथ अपने मात्रा ज्ञान का परिचय दिया। कुछ एक दो त्रुटियों को छोड़ कर सभी का काम सराहनीय रहा।
आज हमारे हिन्दी परिवार के दो बच्चे गर्मी की छुट्टियाँ होने से पहले अन्तिम बार कक्षा में आए। उनसे बिछुड़ते हुए मन भारी था पर साथ ही वह बच्चे भारत जा रहे थे इसलिए उनको विदा करते हुए मन में एक उत्साह भी था। एक संतोष सा था कि यह बच्चे जो भी आज तक सीखते रहे उस हिन्दी ज्ञान का प्रयोग वह भारत में कर सकेंगे तथा बहुत कुछ और भारत से सीख कर आएंगे, हम सबके साथ बांटने, हमारी हिन्दी कक्षा में।
कक्षा समाप्त होने पर बच्चों ने सभी अभिभावकों के समक्ष वसंत है आता गाने की सुन्दर प्रस्तुति की और हमने एक दूसरे से विदा ली अगले हफ्ते तक के लिए।
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अरे वाह, बहुत सुन्दर है आपका प्रयास। हार्दिक बधाईयां।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत सराहनीय कार्य मे रत है आप।शुभकामनाएं।
ReplyDeleteहम भी नियमित हैं । आभार ।
ReplyDeleteवाह..वाह....वाह...वाह....वाह....वाह....वाह......वह....वाह.....जितनी भी वाह करूँ, कम ही लग रही है.....!!
ReplyDeleteमेरा हौसला बढ़ाने के लिए आप सब का हार्दिक धन्यवाद। अब तो यह लगता है यह मेरा प्रयास नही अपितु आप सब का दिया मार्ग दर्शन ही है जो दिशा दिखा रहा है। धन्यवाद।
ReplyDeleteहा हा सही है चले चलो
ReplyDeleteदूर देश के किसी कोने में हिंदी के स्वरों को बिखरते हुए महसूस करता हूँ आपकी हर पोस्ट में !
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