विदेशों में रहने वाले उत्तर भारतीय बहुत से परिवारों में एक यह प्रश्न उठते देखा है कि आखिर हम अपने बच्चों को हिन्दी क्यों सिखाएँ। वे माता पिता जो अंग्रेज़ी माध्यम से पढ़े और अपने परिवार और मित्रों के साथ अंग्रेज़ी बोलते हुए बड़े हुए उन्हें कभी-कभी हिन्दी सिखाने का महत्व समझ नहीं आता। मैं उन्हें दोष भी नहीं देती क्यों कि भारत में अंग्रेज़ी केवल भाषा का स्थान ही लेती है। संस्कृति हमारी फिर भी हिन्दुस्तानी ही रहती है। हिन्दी भाषा हिन्दुस्तानी (भारतीय) संस्कृति को सिखाने की दिशा में उठाया गया एक सशक्त कदम होता है।
यहाँ विदेशों में बच्चों को बड़े-छोटे का भाव, आदर और प्रेम का भाव सिखा पाना बड़ा कठिन होता है। यह हमारी भारतीय संस्कृति की विशेषता है। पाश्चात्य संस्कृति में इसका कोई विशेष महत्व नहीं। बच्चों के साथ उनके नाना-नानी या दादा-दादी भी अधिकतर नहीं होते जिससे वह अपने माता-पिता के साथ उनके आदर तथा प्रेम भाव को देख-सीख सकें। फिर यदि भाषा को देखें तो अंग्रेज़ी में केवल यू शब्द का प्रयोग बड़े छोटे सभी लोगों के लिए होता है। ऐसे में हिन्दी भाषा द्वारा बच्चों में भारतीय संस्कृति को सहज ही उतारा जा सकता है।
हिन्दी भाषा इतनी समृद्ध है जितनी कि भारतीय संस्कृति और यदि बच्चों को प्यार और जतन के साथ हिन्दी भाषा सिखाई जाए तो भारतीय संस्कृति स्वतः ही उनके चरित्र में उतरनी शुरु हो जाती है।
अगली बार अपने जीवन के कुछ अनुभव ले कर फिर आपसे बातचीत करने आऊँगी।
Friday, May 1, 2009
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