Thursday, May 21, 2009
हमारी कक्षा, १६, मई २००९
रविवार हमारा हिन्दी क्लास का दिन है। बहुत दिनों बाद आज सूरज निकला था। मदर्स डे की छुट्टी के बाद आज सभी बच्चों में उत्साह था।
पहले हमने सरस्वती वंदना कर के अपनी विनम्र प्रार्थना उस परमपिता के श्री चरणों में रक्खी कि वह हमें हिन्दी सीखने और सिखाने का पथ प्रशस्त करें और फिर रूपहले धूप भरे दिन को मनाने के लिए वसंत का नया गाना गाया- रंग-बिरंगे फूल खिलाता
सूरज चमकाता, वसंत है आता
इसके बाद, हमने बच्चों में अति लोकप्रिय नाटक "नादान कौए" का अभ्यास किया। बच्चों में संवादों को याद करने तथा उनको बोलने की क्षमता देख कर मैं दंग थी। भावाभिव्यक्ति पर अभी और काम करना होगा।
पिछली हितोपदेश की श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए हमने ब्राह्मण और नाविक की "आदर्श शिक्षा" कहानी सुनीं। कहानी आधी होते-होते एक बच्चे को लगा कि वह कहानी सुनी हुयी है और उसने अपने टूटे-फूटे वाक्यों से बड़ी बहादुरी से बाकी की कहानी सुनाई। मैं उसे सराहती देखती-सुनती रही। एक नयी आशा का उदय हुआ कि शायद अगले वर्ष तक यह बच्चे ही कक्षा में कहानियाँ सुनाया करेंगे।
हर बार की तरह बच्चों में गृह-कार्य दिखाने के लिए उत्साह था। बच्चों को सराहने का समय। बच्चों में जोश भरने का समय।
ए की मात्रा वाले शब्दों और उनके अर्थों को हमने दुबारा जाना।
कक्षा के अन्त में एक पहेली-
साथ-साथ मैं चलती हूँ, पर पकड़ नहीं सकते हो तुम।
अंधियारा छाते ही देखो, गायब होती मैं गुमसुम।
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अच्छा लगा कक्षा के बारे में जान कर,
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